✍️ डॉ. विनय प्रकाश तिवारी, संस्थापक – डैडीज़ इंटरनेशनल स्कूल
“मौद्रिक और राजकोषीय नीतियों को एक-दूसरे के विरोध में नहीं बल्कि परस्पर सहयोगी तरीके से काम करना चाहिए ताकि संतुलित आर्थिक विकास सुनिश्चित किया जा सके,” – वित्त सचिव तुहिन कांता पांडेय।
सोचिए सरकार और RBI एक कार चला रहे हैं। सरकार एक्सेलेरेटर है जो कार की स्पीड बढ़ाना चाहती है (यानी खर्च और विकास बढ़ाना), और RBI ब्रेक और गियर की तरह है जो यह सुनिश्चित करता है कि कार संतुलित तरीके से चले। अगर दोनों अलग-अलग दिशा में काम करेंगे, तो कार यानी अर्थव्यवस्था डगमगा जाएगी। लेकिन अगर दोनों मिलकर काम करेंगे, तो देश तेजी से और सुरक्षित तरीके से आगे बढ़ेगा।
“सरकार ने 2025-26 के बजट में उपभोग और मांग को बढ़ाने के लिए बड़े टैक्स में छूट और खर्च बढ़ाने के उपाय किए हैं,” – तुहिन कांता पांडेय।
मान लीजिए आपके पापा-मम्मी ने आपको ज़्यादा पॉकेट मनी दी और आपकी पसंदीदा चीज़ों पर छूट भी दिला दी ताकि आप ज़्यादा चीज़ें खरीद सकें। इससे दुकानें भी खुश होंगी क्योंकि उनका सामान बिकेगा। इसी तरह, सरकार ने लोगों को टैक्स में छूट दी है ताकि लोग ज़्यादा खर्च करें, जिससे बाजार में रौनक बढ़े और देश की अर्थव्यवस्था तेज़ी से आगे बढ़े।
“हमें उम्मीद है कि RBI सरकार के बजट उपायों के साथ अपनी मौद्रिक नीति को संतुलित करेगा ताकि आर्थिक वृद्धि के लक्ष्य को हासिल किया जा सके,” – तुहिन कांता पांडेय।
जैसे आपके स्कूल में टीचर्स और प्रिंसिपल मिलकर यह तय करते हैं कि पढ़ाई कैसे करवाई जाए ताकि रिजल्ट अच्छा हो, उसी तरह सरकार और RBI को भी मिलकर काम करना होता है। सरकार ने बजट में विकास के लिए फैसले लिए हैं और अब RBI पर निर्भर करता है कि वो ब्याज दरें (Interest Rates) कम करके इस विकास को और आगे बढ़ाने में मदद करे।
“अगर हम बिना राजकोषीय घाटे की परवाह किए खर्च बढ़ाएंगे, तो इससे महंगाई बढ़ सकती है और अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर पड़ेगा,” – तुहिन कांता पांडेय।
मान लीजिए आप हर दिन ढेर सारे चॉकलेट खरीदने लगें और अपना सारा पॉकेट मनी खर्च कर दें। शुरू में आपको मज़ा आएगा, लेकिन जब ज़रूरी चीज़ों के लिए पैसे नहीं बचेंगे तो परेशानी होगी। इसी तरह, अगर सरकार बिना सोचे-समझे खर्च करेगी तो इससे महंगाई (Inflation) बढ़ेगी, यानी चीजें महंगी हो जाएंगी और लोगों की जेब पर बोझ बढ़ेगा।
“महंगाई से थोड़े समय के लिए विकास को सहारा मिल सकता है, लेकिन यह टिकाऊ नहीं है और दीर्घकाल में नुकसानदायक है,” – तुहिन कांता पांडेय।
अगर आपको पढ़ाई में तेजी से नंबर बढ़ाने हैं, तो आप सिर्फ रट्टा मार सकते हैं। शुरू में नंबर अच्छे आ सकते हैं लेकिन लंबी अवधि में आपको विषय की समझ नहीं होगी और आगे दिक्कत आएगी। महंगाई भी कुछ ऐसा ही है—शुरू में विकास को फायदा पहुंचाती है, लेकिन लंबे समय में यह देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा सकती है।
“सरकार ने मांग और आपूर्ति दोनों पक्षों पर काम किया है, खासकर खाद्य महंगाई को नियंत्रित करने के लिए,” – तुहिन कांता पांडेय।
मान लीजिए स्कूल में अचानक स्टेशनरी की मांग बहुत बढ़ जाती है, लेकिन दुकान पर सामान कम है। इससे दाम बढ़ जाएंगे। सरकार ऐसा नहीं चाहती। इसलिए वह सुनिश्चित करती है कि बाजार में सामान (जैसे दाल, तेल) की पर्याप्त आपूर्ति हो ताकि उनकी कीमतें स्थिर रहें और लोगों को सस्ती दरों पर ज़रूरी चीजें मिल सकें।
“हम तेल की कीमतों में तेज़ी की संभावना नहीं देखते क्योंकि वैश्विक आपूर्ति स्थिर बनी हुई है,” – तुहिन कांता पांडेय।
जैसे आपके शहर में पानी की सप्लाई ठीक है तो पानी महंगा नहीं होगा। उसी तरह, दुनिया में तेल की सप्लाई भी अभी स्थिर है, इसलिए पेट्रोल-डीजल की कीमतें अचानक नहीं बढ़ेंगी।
सरकार ने बजट के ज़रिए देश को आर्थिक रूप से मजबूत करने के उपाय किए हैं और अब RBI पर निर्भर करता है कि वो सही मौद्रिक नीतियां अपनाए। जब सरकार और RBI मिलकर एक टीम की तरह काम करेंगे, तभी भारत की अर्थव्यवस्था तेज़ी से आगे बढ़ेगी—बिल्कुल वैसे ही जैसे एक क्रिकेट टीम तभी जीतती है जब उसके सभी खिलाड़ी मिलकर खेलते हैं। 🚀🇮🇳
✍️ डॉ. विनय प्रकाश तिवारी, संस्थापक – डैडीज़ इंटरनेशनल स्कूल
मुझे आपका ब्लॉग पढ़कर बहुत अच्छा लगा,क्योंकि हमारे जैसे लोग बहुत सरल स्वभाव के होते हैं,आपने इसका स्पष्टीकरण बहुत सरलता से दिया।हमें उम्मीद है कि भविष्य में आप हमें इसी तरह और भी अच्छी बातें समझाएंगे।धन्यवाद।